घर में बच्चे के कदम रखते ही हर मां−बाप अपने बच्चों को बेस्ट से बेस्ट देना चाहते हैं। क्योकि बच्चे में उनकी जान जो बसती है। बच्चे की हर वो इच्छा पूरी करने की कोशिश करते है जिससे उनका बच्चा जीवन के हर क्षेत्र में न केवल सफलता अर्जित करे,बल्कि वह एक स्वस्थ व खुशनुमा जीवन भी व्यतीत करे। यदि आप भी अपने बच्चे के उज्ज्वल भविष्य को देखना चाहते हैं तो इसके लिए आप उनके कमरे को भी सही तरीके से व्यवस्थित करें। वास्तु अनुसार बनाया गया बच्चों का कमरा उन्हें स्वास्थ्य, सफलता, कुशाग्र बुद्धि व शांति प्रदान करने में काफी मदद करता है तो जाने बच्चों को कमरा किस तरह का होना चाहिये जिससे उसका भविष्य उज्ज्वल रहे।
दिशा हो सही –
यदि आप अपने बच्चे के लिए अलग से कमरा बनवा रहे हैं तो उसे सही दिशा निर्देशित कर ले। बच्चों का कमरा पश्चिम दिशा की ओर हो तो काफी अच्छा माना जाता है। वैसे तो आप पश्चिम, उत्तर, उत्तर−पूर्व और दक्षिण−पूर्व में भी बच्चों का कमरा बनवा सकते हैं। बच्चों का कमरा कभी भी दक्षिण−पश्चिम की दिशा में ना बनाये। यदि घर पर लड़की है तो उनके लिये कमरा उत्तर−पश्चिम दिशा सही मानी गई है, और लड़को के लिये घर की उत्तरी या पूर्वी दिशा बेहतर मानी रहती है। इसके अलावा बच्चे के कमरे का मध्य भाग हमेशा खाली रखना चाहिए।
रंगों का महत्व –
बच्चों के कमरे की दिशा निर्धारित होने के बाद कमरे के रंग का भी विशेष महत्व होता है। जो उनके जीवन को काफी प्रभावित करता है इसलिये हमेशा बच्चों के रूम के लिये हरा रंग का काफी अच्छा माना गया है। हरा रंग मन को शांति देने के साथ हमेशा तरोताजा बनाये रखने में मदद करता है। इससे बच्चों का दिमाग केन्द्रित भी रहता है। जिससे बच्चे का मन पढ़ाई पर लगा रहेगा। यह रंग बच्चे के दिमाग को भी तेज बनाने में मदद करेगा।
बच्चों का स्टडी रूम –
वास्तु शास्त्र में हर चीज सही दिशा के साथ सही स्थान पर रहे तो इसका एक अलग महत्व होता है। ये हमारे जीवन में पोजेटिव एनर्जी देने का काम करता है। इसलिये बच्चों का स्टडी रूम हमेशा दिशा के अनुरूप ही बनना चाहिये। उनकी पढ़ाई का कमरा घर के पूर्व- उत्तर या उत्तर−पूर्व दिशा में बने तो काफी बेहतर माना जात है। यह दिशाएं आपके बच्चों में एकाग्रता लाने का काम करती है। साथ ही आप बच्चों की स्टडी टेबल को कुछ इस प्रकार रखें जिससे पढ़ते वक्त उनका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। ध्यान रहे कि स्टडी टेबल न तो बहुत बड़ी होनी चाहिये और न ही बहुत छोटी।
अब बात करते है बुकशेल्फ की तो इसे आप पूर्व, उत्तर या उत्तर−पूर्व दिशाओं मे स्थित करें। कुछ लोग बुकशेल्फ को स्टडी टेबल के ऊपर बनवाना पसंद करते हैं, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार ये सही नहीं माना जाता। ऐसा करने से बच्चा हमेशा ही तनावग्रस्त रहता है।
यूं बिछाएं बिस्तर –
बच्चों के बेड की बात करें तो बच्चा अपने बिस्तर पर सोने मात्र के लिए ही नहीं जाता, बल्कि कई बार इस पर बैठकर वह अपनी पढ़ाई या प्रोजेक्ट को भी पूरा करता है। इसलिए इसे आप सही दिशा पर बिछाये। बच्चे का बिस्तर कुछ इस प्रकार करें कि सोते समय बच्चे का मुंह दक्षिण या पूर्व दिशा की ओर हो। यदि आपके बच्चे के कमरे में शीशा लगा हुआ है तो उसे कुछ इस प्रकार लगाएं कि वह बच्चों के बेड के सामने न हो। ठीक इसी प्रकार, कमरे के बाथरूम का दरवाजा भी बिस्तर के सामने नहीं होना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान –
बच्चे के कमरे में लगे फर्नीचर कभी भी दीवार से सटे नहीं होने चाहिए। ऐसा होने से कमरे में नाकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनी रहती है। बच्चों के कमरे में उपयोग की जाने वाली लाइट्स न तो बहुत अधिक तेज हो और न ही बहुत अधिक धीमी।बच्चों के बेडरूम में कभी भी इलेक्ट्रानिक जैसे टीवी,कंप्यूटर नही होने चाहिए। लेकिन वर्तमान समय में ऐसा करना संभव नहीं है इसलिए आप कंप्यूटर को उत्तर दिशा में रखे। बच्चों के कमरे के उत्तर-पूर्व को पढ़ाई के लिए इस्तेमाल करना अच्छा रहता है। लेकिन ध्यान रहे कि इस दिशा में कभी भी कोई भारी सामान न रखा जाए। कमरे की खिड़कियां हमेशा दरवाजे के सामने होंनी चाहिये। खिड़कियों उत्तर या पूर्व दिशा की ओर बना तो सबसे बेहतर रहती है।