पर्वों और त्योहारों के देश भारत में कई तरह के उत्सवों को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। साल में कोई ऐसा महीना नहीं होता, जिसमें कोई व्रत और पर्व ना हो। इन सभी तरह के तीज त्योहारों का भौगोलिक और सांस्कृतिक दोनों रूपों में महत्व होता है। दिवाली के छह दिनों के बाद मनाया जाने वाला छठ पर्व भी इसी तरह का एक त्योहार है। एक समय ऐसा था जब छठ केवल बिहार में ही मनाया जाता था, लेकिन आज के समय में यह पर्व बिहार के साथ ही पूर्वी उत्तरप्रदेश, झारखंड और नेपाल के तराई क्षेत्रों में भी बड़े ही धूमधाम से बनाया जाता है।
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कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाले इस त्योहार के पीछे एक सांस्कृतिक संक्रमण है। दरअसल बिहार की बेटियां शादी करके जिस जगह रहने लगती है, वह वहीं पर इस पर्व को मनाने लगती हैं, जिस कारण यह पर्व पटना घाट से लेकर राजधानी दिल्ली के यमुना घाट तक बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
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छठ पूजा में सूर्य की पूजा की जाती है, और यह पर्व पूरी तरह से सूर्य देव की उपासना पर आधारित है। सूर्य पूरे विश्व के लिए शक्ति और ऊर्जा का स्त्रोत माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि छठ पूजा की परंपरा मध्यकाल से ज्यादा प्रचलन में आ गई है। माना जाता है कि छठ माता सूर्य देव की बहन है और उन्हें खुश करने के लिए सूर्य की आराधना करना काफी जरूरी होता है और इसके लिए सुबह के समय खड़े होकर सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं।
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श्री राम और माता सीता से इस पर्व का है गहरा नाता
बिहार में मुंगेर नाम के क्षेत्र में माता सीता ने सबसे पहले इस त्योहार को मनाया था। प्रभु श्रीराम अपने पिता की वचनपूर्ति के लिए माता सीता के साथ वनवास गए लेकिन माता सीता के मन में वनवास के दौरान आने वाले संकटों के लिए काफी शंकाएं थी। वनवास के शुरुआती समय में श्री राम और माता सीता मुद्ल ऋषि के आश्रम में रहे, वहीं पर माता सीता ने गंगा में छठ की पूजा की शुरुआत की थी।
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वनवास खत्म होने पर जब प्रभु राम अयोध्या लौटे तो रामराज्य के लिए राजसूय यज्ञ करने का निर्णय लिया गया। बाल्मीकि ऋषि ने सीता से कहा कि मुद्ल ऋषि के आए बिना यह यज्ञ असफल रहेगा।
जब प्रभु राम और सीता माता मुद्ल ऋषि को निमन्त्रण देने गए तो उन्होंने उन्हें छठ का व्रत रखने की सलाह दी। इसी तरह मां सीता ने छठ माता से पुत्र प्राप्ति की कामना भी की।
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इतना ही नहीं हम आपको बता दें कि विज्ञान ने भी सूर्य को ऊर्जा का स्त्रोत माना है, छठ पूजा के रूप में सूर्य की पूजा करने से आप भी ऊर्जावान भाव और मन में शांति को महसूस कर पाएंगे।
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