प्राचीन समय से ही महिलाएं यह चाहती हैं कि उनकी त्वचा हमेशा ही जवां बनी रहें। हर महिला का सपना होता है कि वह सदैव ही सुंदर दिखें। लेकिन वर्तमान में प्रदूषण की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है और इसका सीधा प्रभाव आपकी त्वचा पर होता है, जिसके कारण कम उम्र में ही आपके चेहरे पर फाइन लाइंस दिखाई देने लगती है। वर्तमान में लड़कियों और महिलाओं में 20 से 30 वर्ष की उम्र में ही फाइन लाइन्स दिखाई देने लगती है। जिसके बाद बहुत सी महिलाएं फेसलिफ्ट तथा एंटी एजिंग क्रीम की सहायता लेने लगती है, पर असल में यह काफी नहीं होता है, बल्कि इसका सबसे अच्छा हल “लेजर पीलिंग” है, जिसको लेजर पील भी कहा जाता है। लेजर पीलिंग तकनीक में दो प्रकार की पद्धियों का समावेश होता है, पहली को “एब्लेटिव लेजर रिसर्फेसिंग” कहा जाता है तथा दूसरी को “नॉन-एब्लेटिव” कहा जाता है, आइए जानते हैं इन दोनों पद्धतियों के बारे में।
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1. एब्लेटिव लेजर रिसर्फेसिंग –
यह पुरानी तकनीक है, पहले के समय में इसको “लेजर तकनीक” के नाम से भी जाना जाता था। इस तकनीक में त्वचा के ऊपर की परत को आंशिक या पूरी तरह से निकाल दिया जाता हैं।
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2.नॉन-एब्लेटिव लेजर रिसर्फेसिंग –
इस तकनीक में त्वचा की परत को निकालने की जरुरत ही नहीं पड़ती, बल्कि इस तकनीक की सहायता से त्वचा की गहराई में स्थित खराब ऊतकों को माइक्रो पल्सेज की सहायता से वाष्पित कर दिया जाता है। इस कारण से कोलेजन की प्रतिक्रिया उत्तेजित होती है तथा त्वचा में नया कोलेजन बनने से वह जवां दिखाई पड़ने लगती है।
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लेजर रिसर्फेसिंग कराने का मूल्य –
आपको हम बता दें कि लेजर रिसर्फेसिंग कराने का मूल्य 3 से 8 हजार प्रति सत्र होता है। इसके अलावा इस तकनीक का मूल्य इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपकी त्वचा की स्थिति क्या है तथा आपको कितने क्षेत्र की लेजर रिसर्फेसिंग करानी है। यहां एक बात और ध्यान रखने की है कि “एब्लेटिव लेजर रिसर्फेसिंग” की कीमत “नॉन एब्लेटिव लेजर रिसर्फेसिंग” से ज्यादा होती है। यदि आप इसकी सभी सावधानियों का सही से ध्यान रखते हैं, तो इसमें निवेश करने में कोई परेशानी वाली बात नहीं है, यह आपकी त्वचा की देखभाल के लिए सही और प्रभावी उपाय है।
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