आप अपने परिवार और दोस्तों से कितना मिलते हैं यह बात आपकी सेहत को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है। जी हां, अकेलापन आपको ना सिर्फ मानसिक रूप से बल्कि शारीरिक रूप से भी बीमार बना सकता है। अकेलेपन की समस्या पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। विशेष तौर पर बुजुर्गों में अकेलेपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
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अकेलापन यानि लोनलीनेस आपकी सोच को इस कदर प्रभावित करता है की सेहत भी इसके शिकंजे में फंस जाती है। यहां यह बताना भी जरूरी है की अपनी इच्छा से अकेले रहना अलग बात है और ग्रुप में रहते हुए भी अकेलापन महसूस करना यह पूरी तरह से एक अलग बात है।
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दरअसल जीवन में कई लोगों के होते हुए भी आप अकेलापन तभी महसूस करते हैं। जब आपको लोगों से कनेक्ट करने के लिए कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं मिल पाता है। ऐसे में जाहिर है की आप अपनी उलझनों से मन-ही-मन गुत्थमगुत्था होते रहते हैं और जब अपने भीतर के गुबार को निकाल मन को खाली करने के लिए कोई नहीं मिलता तो आगे चलकर इसका आपके शारिरीक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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एक युनिवर्सिटी के अनुसार किए गए अध्ययन में सामाजिक तौर पर सबसे मिलने जुलने और साथ रहने वाले लोग अकेलेपन के शिकार लोगों की तुलना में 50 फीसदी तक अधिक जी पाते हैं। अकेलापन शरीर को ठीक उतना ही नुकसान पहुंचाता है। जितना के दिन में 15 सिगरेट पीने से शरीर को होता है। इस शोध में शोधकर्ताओं ने 3,08,849 लोगों पर 148 बार अध्ययन किया है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं अकेलेपन के अहसास और इससे होने वाले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में…
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अकेलापन पहुंचा सकता है आपको काफी नुकसान
डॉक्टर पहले से यह बात जानते हैं कि अकेलेपन से अवसाद, तनाव, व्याकुलता और आत्मविश्वास में कमी जैसी मानसिक समस्याएं होती है। लेकिन ऐसे तथ्य भी मिले हैं कि अकेलेपन से शारीरिक बीमारियां होने का जोखिम भी बढ़ जाता है। यहां तक कि इससे कुछ बीमारियों होने का भी खतरा होता है और आगे चलकर उनके खतरनाक रूप ले लेने की आशंका तक होती है। हालांकि शोधकर्ता यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि अकेलापन शरीर पर ऐसे क्या असर डालता है जो लोगों को बीमारी और मौत की और धकेल देता है।
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साल 2006 में स्तन कैंसर से पीड़ित 2800 महिलाओं पर हुए एक अध्ययन से पता चला है कि ऐसे रोगी जो कि तुलनात्मक रूप से परिवार या दोस्तों से कम मिलते थी। उनकी बीमारी से मौत की आशंका 5 गुना तक अधिक थी। लंबे समय तक डॉक्टरों को यह बात समझने में परेशानी होती रही कि अकेलेपन का स्वास्थ्य पर कितना प्रभाव पड़ता है। लेकिन अब यह पता चल चुकी है की रोगी के सामाजिक बर्ताव को समझना बेहद जरूरी होता है।
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शिकागो युनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक ने पाया है की सामाजिक रूप से अलग-अलग लोगों की प्रतिरोधक क्षमता में बदलाव आने लगता है और फिर यही बदलाव उन में स्थाई सूजन और जलन का कारण बनता है। यह सच है की किसी घाव या संक्रमण को ठीक होने के लिए अल्पकालिक सूजन और जलन होना आवश्यक होता है। लेकिन यदि यह सूजन लंबे समय तक रहे तो हद्यवाहिनी के रोग और कैंसर का कारण बन सकती है। बड़ी संख्या में स्वस्थ लोगों में सुबह और शाम के वक्त कोलेस्ट्रोल की मात्रा की जांच कर वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि अकेलेपन का शिकार लोगो के रोजमर्रा के कामों को अधिक तनावकारी पाते हैं।
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ऐसे में होती है लोगों को मदद की जरूरत
अगर आप अकेले रहते है तो स्थाई स्वास्थ संबंधी समस्या के बावजूद आपकी सूजन और जलन बढ़ सकती है। अकेलेपन के शिकार लोगों की संख्या पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। इन में से अधिकांश लोग बुजुर्ग हैं। जिनके परिवार दूर चले गए हैं। गैरतलब है की 75 साल की उम्र के लोग ब्रिटेन में अकेले रहते हैं और 10 में से 1 गंभीर रूप से अकेलेपन का शिकार हैं।
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अकेले होने का मतलब शारीरिक रूप से अकेले होना नहीं है बल्कि लोगों के साथ जुड़ाव महसूस ना होना या परवाह ना किया जाना भी एक अकेलापन ही है। इसलिए हमें जल्द अकेलेपन के शिकार लोगों की मदद का तरीका ढूंढना होगा। क्योंकि हम सबको यह नहीं कह सकते कि बाहर निकलो और कोई चाहने वाला ढूंढो। ऐसे में हमें ऐसे लोगों के लिए कोई सहायक नेटवर्क बनाने की जरूरत है।