संग्राम सिंह एक ऐसा नाम जिसकी जिंदगी खुद एक संग्राम से कम नहीं है। संग्राम सिंह एक ऐसा नाम जिसने हर नाउम्मीदी को उम्मीद में न केवल बदल डाला, बल्कि देश और दुनिया के सामने एक ऐसी मिसाल कायम की जिससे हर कोई सीख ले सकता है। जीवन के कठिन से कठिन रास्तों पर भी हंसते हुए अपनी मंज़िल तक पहुंच सकता है। संग्राम सिंह के जीवन में घनघोर अंधेरा था, लेकिन अपनी मज़बूत इच्छा शक्ति की बदौलत न केवल सफलता के कई कीर्तिमान स्थापित किए बल्कि संग्राम ने सात समंदर पार भी देश का नाम रोशन किया। वैसे दुनिया आज जिस संग्राम सिंह की चकाचौंध भरी जिंदगी को जानती है, वो इंटरवल के बाद की आधी कहानी है। उनके संग्राम सिंह बनने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। जी हां, आप जिस संग्राम सिंह को जानते हैं उनका असली नाम संजीत कुमार है। संग्राम सिंह का जन्म हरियाणा के रोहतक जिले के मदीना गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। संजीत कुमार का जन्म एक अविकसित बच्चे के रूप में हुआ था, यानी प्रिमेच्योर बेबी के रूप में। संजीत बचपन से दो गंभीर बीमारी गठिया और लकवा से पीड़ित थे। संजीत की बीमारी को देख कर देश के शीर्ष मेडिकल संस्थानों ने भी इलाज के बाद पूर्ण स्वस्थ होने में संदेह जताया था। डॉक्टरों ने तो यहां तक कह दिया था कि ये बीमारी ठीक ही नहीं हो सकती है। ये सुन कर तो आपको और भी हैरानी होगी कि बचपन में ही उन्हे व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ गया था, लेकिन बालक संजीत ने हार नहीं मानी।
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वो कई सालों तक देशी और घरेलू नुस्खों से उपचार करते हुए न केवल आगे बढ़ते गए बल्कि अपनी इच्छा शक्ति के बूते इस लाइलाज बीमारी से पार पा कर खुद को इस काबिल बनाया कि वो अखाड़े के बेजोड़ पहलवान बन सके। अगर संग्राम सिंह की उपलब्धियों को देखें तो इसकी शुरूआत सन् 2001 में हो गई थी। संग्राम ने पहली बार हरियाणा में कड़े मुकाबले में कुश्ती का खिताब जीता, इसके बाद साल 2003 में राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप में जीत हासिल कर अपनी पहचान कायम की। ठीक 2 साल बाद यानी सन् 2005 में सीनियर विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में संग्राम सिंह ने भारत को रिप्रेजेंट किया। संग्राम सिंह ऐसे पहले रेसलर हैं जिन्होंने इंमेच्योर रेसलिंग में भारत का परचम दुनियाभर में लहराया। साल 2006 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित इंटरनेशनल रेसलिंग कॉम्पिटिशन में गोल्ड मेडल हासिल कर अपने इरादे जाहिर कर दिए कि ये करवां अब रुकने वाला नहीं है।
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साल 2012 में उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पहलवान के खिताब से नवाजा गया। राष्ट्रीय सम्मान, राष्ट्रपति पुरस्कार सहित दर्जनों पुरस्कार संग्राम सिंह हासिल कर चुके हैं। रेसलिंग के क्षेत्र में उनके योगदान को देखते हुए भारतीय रेसलिंग संघ ने उन्हें अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाया है, इसके अलावा जानवरों की रक्षा के लिए दुनियाभर में काम करने वाली संस्था पेटा ने भी उन्हे ब्रांड एमबेस्डर बनाया। संग्राम खुद भी शाकाहारी हैं और शाकाहार को ही प्रमोट करते हैं। इसके अलावा संग्राम सिंह ने टेलीविजन के एक पॉपुलर रीयलिटी शो बिगबॉस के सातवें संस्करण में न केवल भाग लिया बल्कि वो शो के फाइनलिस्ट भी रहे। इसके अलावा मशहूर कार्यक्रम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शानदार अभिनय किया। संग्राम सिंह ने युवा फिल्म में अभिनय भी किया है। इस फिल्म में वो स्पोर्ट्स कोच की भूमिका में दिखाई दिए। संग्राम का मानना है कि सिनेमा के जरिए देश के युवाओं को खेल और राष्ट्र निर्माण के लिए प्रेरित किया जा सकता है। संग्राम सिंह आज न केवल युवाओं के आदर्श हैं बल्कि देश दुनिया में एक चर्चित हस्ती भी बन चुके हैं।