जानें आखिर क्या है पैर सोने की वजह

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आपने कई बार ऐसा अनुभव किया होगा, जब आपका पैर अचानक से सुन्न हो गया हो या पैर में तेज झुनझुनाहट महसूस हुई हो, ऐसी स्थिति में हमे अपना पैर हिलाने में भी परेशानी होती है, इस समस्या को हम आम बोलचाल में पैर सोना कहते हैं, जबकि मेडिकल भाषा में इस समस्या को पैरे‍स्‍थेसिया कहा जाता है। अगर आपको भी इस तरह की परेशानी से अक्सर गुज़रना पड़ता है और आप भी इस परेशानी का कारण जानना चाहते हैं कि तो यह आर्टिकल आपकी काफी मदद कर सकता है। आइए जानते हैं पैर सोने के पीछे आखिर क्या कारण है –

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जब कभी भी किसी को पैर सोने की समस्या होती है, उस समय उस व्यक्ति को पैर में भारीपन, झुनझुनाहट और ऐसा महसूस होता है कि जैसे किसी ने पैर में कोई सुई या पिन चुभा दी हो। लेकिन इसका असली कारण होता है, पैरो में सुचारू रूप से ब्लड का ना पहुंचना। असल में जब हमारे शरीर में तंत्रिकाओं (नर्वस) पर दबाव पड़ने लगता है, तब यह स्थिति पैदा होती है। हमाके शरीर में तंत्रिकाएं छोटा-छोटी तारों जैसी होती हैं। यह हमारे शरीर में और ब्रेन में आगे और पीछे की तरफ संदेश पहुंचाने का काम करती हैं।

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जब हम लंबे वक्त तक अपने पैर पर पैर रखकर बैठते हैं या पैर पर भार डालकर बैठते हैं, तब तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ता है और पैरों तक ब्लड सर्कुलेशन रुक जाता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि सिर्फ पैरों में ही ऐसा महसूस हो। शरीर के जिस हिस्से में भी इस तरह से दबाव पड़ता है, वहां ऐसा ही अनुभव होता है। किभी- कभी हाथ और बाजू भी इसी वजह से सुन्न पड़ जाते हैं।

जब-हम-लंबे-वक्त-तक-अपने-पैर-पर-पैर-रखकरImage Source: https://media.fibromyalgia.newlifeoutlook.com/

यह तंत्रिकाएं कोशीय फाइबर की बनी होती हैं। हर कोशीय फाइबर ब्रेन में अलग-अलग तरह की संवेदनाओं को पहुंचाने का काम करता है। साथ ही यह फाइबर्स कम या ज्यादा मोटे भी होते हैं। इसकी वजह शरीर में माइलिन नाम के श्वेत पदार्थ से बनी झिल्ली है। तंत्रिकाओं पर प्रेशर पड़ने से नसों द्वारा मस्तिष्क तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन भी नहीं हो पाता। इससे शरीर के जिस हिस्से में दबाव पड़ता है, वहां तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती और वह हिस्सा सुन्न पड़ जाता है। इससे उस अंग में कुछ महसूस नहीं होता ओर अंग सो जाता है।

यह-तंत्रिकाएं-कोशीय-फाइबर-की-बनी-होती-हैं।Image Source: https://3.bp.blogspot.com/

हर व्यक्ति को इस तरह की परेशानी हो सकती है। इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता, लेकिन थोड़ी देर के लिए तकलीफ जरूर होती है। जब तक आपके मस्तिष्क और दबे हुए अंग के बीच ऑक्सीजन नहीं पहुंचती तब तक यह समस्या ऐसी ही बनी रहती है और ऑक्सीजन पहुंचने के बाद अंग दोबारा से नॉर्मल हो जाता है।

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