आचरण और अनुशासन हमारे भारतीय समाज की एक बहुत बड़ी आधारशिला है। इसलिये आज भी इस आधुनिक युग में हमारा देश अपने साथ अपनी परंपरा को समेटे हुए ऱखा है। इसी कारण पुराने समय ऐसे कुछ काम प्रचलित हैं जो मान्यताओं और परंपराओं के आधार पर बनाये गये है जिसका पालन आज भी हर घर में लोग करते आ रहे हैं। कुछ लोग इसे अंधविश्वास के नाम से भी जानते हैं। वही कुछ लोग इसे धर्म से जोड़कर देखते हैं। पर क्या आप जानते हैं कि जिसे आप अंधविश्वास मान उसे शुभ अशुभ का नाम देते है इनके पीछे कुछ वैज्ञानिक तर्क छुपे हुए हैं। जाने उन सभी बातों को
रात को झाड़ू ना लगाना-
1. अंधविश्वास -घर से लक्ष्मी का चले जाना
सांझ का समय होते ही घर में झाडू लगाना दोष माना जाता है। लोगों का अंधविश्वास है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी घर के बाहर चली जाती हैं। पर इसका वैज्ञानिक तर्क कुछ दूसरा है। पुराने समय में बिजली नहीं होती थी. सूरज डूबते ही लोग घर में दीये की रोशनी करते थे ऐसे में अंधेरे में झाडू लगाते हुए कई बार जरूरी चीजें भी बाहर कूड़े में चली जाती थीं. इसलिए भी इसे नियम के तौर पर माना जाने लगा कि दिन ढलने के बाद झाडू नहीं लगाना चाहिए।
2. शव यात्रा से लौटने के बाद स्नान करना
अंधविश्वास – शव यात्रा से लौटने के बाद लोग इसे अशुभ मानकर नहाते है
लॉजिक – मरने के दौरान मृत शरीर में कई तरह के बैक्टीरिया पनपने लगते है और उसके संपर्क में आने के बाद वो हमारे शरीर में भी प्रवेश कर जाते हैं। जिससे बचने के लिए स्नान करना काफी जरूरी होता है।
3. पीरियड्स के समय महिलाओं का मंदिर या रसोई में जाना वर्जित
अन्धविश्वास – छुआछूत हो जाना
लॉजिक – घर की महलाओं को दिनभर घर और बाहर के काम करने पड़ते है। और पीरियड्स के समय में उन्हे छुआछूत कू दृष्टि से देखा जाता है जबकि वैज्ञानिक तथ्य यह है कि पीरियड्स के दौरान होने वाले असहनीय दर्द से महिलाये काफी परेशान और असहज सा महसूस करती है। इन्ही चीजों से बचाने के लिये 4 दिन का अराम दिया जाता है।
4. नदी में सिक्के फेंकना- शुभ माना जाता है
अन्धविश्वास – भाग्य मजबूत होना
लॉजिक – पुराने समय के सिक्के ताबें से मिलकर बने होते है थे जो पानी के अंदर के बैक्टिरिया को खत्म करने का काम करते थे और हमारे सेहत को लिए भी काफी लाभकारी होते है। नदी के पानी को शुद्ध करने के लिए लोग नदी में सिक्के फेंकते थे।
5. कहीं जाने से पहले दही का सेवन
अंधविश्वास – भाग्य साथ देना
लॉजिक- इसके पीछे छिपे तथ्य ये बताते है कि पुराने समय में लोग ज्यादातर एक स्थान से दूसरे स्थान पैदल चलकर ही जाया करते थे और जाने से पहले दही का सेवन करने से उनके शरीर में ताजगी के साथ ठंडक काफी समय तक बनी रहती थी। उसके साथ ही दही में शक्क्र डालकर पीने से ग्लोकोज की मात्रा भी बढ़ जाती है। जो शरीर में ऊर्जा प्रदान करने में सहायक होती है।
6. मंगलवार और गरूवार को बाल ना धोना
अंधविश्वास – बुरे वक्त का आना
लॉजिक – पहले समय के लोग पानी को भरने के लिए दूर दराज नदी तलाब या कुएं में जाया करते थे और पानी की बचत के लिए ये लोग 1-2 दिन ना तो बाल धोते थे और ना ही कपड़े, जिसको को लोग अंधविश्वास से जोड़ने लगे हैं।
7. मिर्च के साथ नींबू को लटकाना
अंधविश्वास – बाहरी नजरों से बचाना
लॉजिक – नींबू और मिर्च में साइट्रिक एसिड की मात्रा भरपूर पाई जाती है। जो बाहरी बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करता है और उसी से बचने के लिए और अपनी सेहत को बनाये रखने के लिए लोग अपने घरों के बाहर नींबू के साथ मिर्च को बांधकर लटकाते थे। जिसे आज के लोग नजर बचाने वाला यंत्र मानने लगे हैं।
8. मंदिर में घंटे का बजाना
अंधविश्वास – भगवान को खुश करना
लॉजिक – घंटे को बजाने से उसके वाइब्रेशन से साकारात्मक उर्जा पैदा होती है। चारों ओर का वातावरण साफ रहता है। इसलिए हर घरों में घंटे और शंख का प्रयोग किया जाता है।