पिछले कुछ वर्षों में हमारी जीवन शैली में काफी बदलाव आया है। आधुनिक समाज में हर व्यक्ति दूसरे से आगे निकलना चाहता है। हर तरफ आगे बढ़ने की होड़ लगी है। इन सब वजहों से अब कम उम्र के लोगों में भी तनाव देखने को मिलता है। एक समय आता है जब तनाव की स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि व्यक्ति के मस्तिष्क में दौरे पड़ने लगते है। इस वजह से व्यक्ति अपने हर एक काम के लिए दूसरों पर निर्भर हो जाता है। उसे बोलने, पढ़ने, लिखने, समझने में दिक्कत आती है। साथ ही व्यक्ति की याद्दाश्त भी कमजोर होने लगती है।
क्या है दिमागी दौरा
हमारे दिमाग को सही से काम करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। लेकिन अगर दिमाग की कोशिकाओं तक ऑक्सीजन या फिर अन्य पोषक तत्वों की उचित मात्रा ना पहुंचे तो मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और इसका नतीजा दिमागी दौरे के तौर पर नज़र आता है। अगर दिमाग के किसी प्रमुख हिस्से में रक्त पहुंचाने वाली कोशिका में थक्का जम जाए तो, इस तरह की परेशानी होती है। जब भी दिमाग का दौरा पड़ता है, तो एक मिनट के भीतर ही सभी प्रभावित कोशिकाएं दम तोड़ने लगती हैं। ऐसी स्थिति मे मरीज अपनी देखभाल तक करने लायक नहीं रहता। उसमें हिलने की भी शक्ति नहीं रहती।
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दिमागी दौरे के लक्षण
हाथों-पैरों या चेहरे में अचानक झुनझुनाहट महसूस होना या कमजोरी आना। शरीर के एक तरफा हिस्से में लकवा भी आ सकता है। समझने या बोलने में एकाएक रुकावट आना। एक या फिर दोनों आंखों से दिखने में दिक्कत आना। चक्कर आना, चलने में परेशानी होना। शरीर को संतुलित रखने में परेशानी आना। गंभीर मरीज का बेहोशी में जाना। बिना किसी वजह के सिर में तेज दर्द उठना। किसी व्यक्ति में अगर ऐसा कोई लक्षण दिखे तो उसे तुरंत ही किसी न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए। ऐसे परिस्थिति में समय की बहुत कीमत होती है। जरा सी भी लापरवाही आपको अपनी जान देकर चुकानी पड़ सकती है।
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दिमागी दौरे के कारण
यह बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। लेकिन यह ऐसे लोगों में अधिक होती है, जिन्हें धूम्रपान या तंबाकू की आदत होती है और जिन लोग को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, डायबिटीज आदि बिमारी होती है। इसके अलावा जो लोग व्यायाम नहीं करते, ज्यादा घी- तेल खाने वालों में, मोटे लोगो में, तली हुई व चर्बीयुक्त पदार्थ अधिक खाने वालों और ज्यादा शराब पीने वाले लोगों में भी यह परेशानी होती है। आनुवंशिकता और तनाव भी इस बिमारी के काफी बड़े कारण है।
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दिमागी दौरे से बचाव
इस बिमारी को दूर करने के लिए मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव को कम करके गतिहीनता को दूर किया जाता है। रोज़ाना एक्सरसाइज़ से भी फायदा पहुंचता है। लेकिन यह उपाय मरीज को पूरी तरह ठीक नहीं कर पाते। इसलिए डाक्टर रोगी की हालत व गतिहीनता को देखकर उपचार करते हैं। खानपान की आदतों में भी कुछ बदलाव करके इस बीमारी के जोखिम को घटाया जा सकता है। खाने में फलों और हरी सब्जियां को शामिल करें। अधिक वसा, चिकनाई वाले खाद्य पदार्थो व जंक फूड्स से दूर रहें। चीनी व नमक का कम उपयोग भी सहायता करता है। वजन कंट्रोल करने के लिए सुबह टहलने की आदत डालें।