यह एक चौकाने वाली बात हैं कि कोई पाठ्यपुस्तक दहेज जैसी सामाजिक कुरीतियों के लाभ के बारे में शिक्षा दें। दहेज लेना या देना एक सामाजिक कुरीति ही नहीं हैं बल्कि एक कानूनी अपराध भी हैं। इसके कारण न जाने कितनी लड़कियों की शादी नहीं हो पाती या फिर उनकी शादी टूट जाती हैं।
किसी व्यक्ति के जीवन में शिक्षा से विभिन्न चीजों के बारे में बुनियादी ज्ञान मिलता हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद मिलती हैं। कुछ समय पहले एक समाचार पत्र में एक पाठ्यपुस्तक के बारे में खबर आई थी, जिसमें दहेज की वर्षों पुरानी परंपरा के बारे में लिखा था।
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पाठ्यपुस्तक द्वारा छात्रों में सही चीजों के प्रति समझ को बढ़ावा देने में मदद मिलती हैं लेकिन दुर्भाग्यवश सब कुछ अपेक्षाओं के विपरीत हो रहा हैं। आपको बता दें कि एक विश्वविद्यालय की समाज – शास्त्र की पाठ्यपुस्तक में बदसूरत महिलाओं के साथ शादी करने पर दहेज संबधी मिलने वाले विभिन्न फायदों के बारे में लिखा हैं।
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लड़की की शादी के समय दहेज के तौर पर उसके परिवार वाले लड़के के परिवार को अनेक प्रकार के भौतिक समान एवं कैश देते हैं। इसका सही अर्थ यह हैं कि लड़की के परिवार द्वारा केवल अपनी देना काफी नही हैं।
वास्तव में यह अवधारणा सेंट जोसेफ कॉलज, बेंगलुरु के बी.ए के छात्रों की थी। जब एक छात्र ने इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और इसके प्रति चिंता जाहिर की तो यह एक गंभीर चर्चा का विषय बन गया। जिसके बाद बहुत सारे लोगों ने इस विषय पर अपनी राय दी।
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कभी – कभी विवाहित लड़की अपने साथ भरपूर दहेज नहीं ला पाती हैं तो उसे लड़के के परिवार के सदस्यों द्वारा प्रताड़ित किया जाता हैं, जो गलत बात हैं। हम यह कह सकते हैं कि समय के साथ साथ सब कुछ बदल रहा हैं और हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं लेकिन फिर भी समाज में कुछ ऐसी कुरुतियाँ या अवधारणाएँ हैं जिन्हें बदलने या ठीक करने की जरूरत हैं। खासकर महिलाओं को एक शांति पूर्ण और सुखी जीवन देने के लिए दहेज पर पाबंदी लगनी चाहिए।