90 के दशक में बड़े हुए हैं तो आप हैं अनोखे, जानें कैसे?

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इस बात में कोई शक नहीं है कि 90 के दशक का समय अब की तुलना से कई ज्यादा मजेदार था। मैं खुद 90 के दशक में बच्ची थी और मैं जानती हूं कि मेरा दिमाग आज भी उस युग में ही घूम रहा है। भले ही यह लिस्ट पूरी नहीं है, लेकिन यह आपको अपने बचपन के दिन जरूर याद दिला देगी। आप भी इस लिस्ट के जरीए अपने बचपन को याद कर लें। इन चीजों को याद करके आपको यह जरूर अहसास होगा कि हमारी पीढ़ी अब तक की सबसे अच्छी पीढ़ी रही है।

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1. हमारी पीढ़ी अब तक की सबसे अच्छी पीढ़ी में से है, ऐसा इसलिए क्योंकि स्कूल के बाहर भी हमारा ग्रूप काफी बड़ा होता था और हम सब आउटडोर गेम खेला करते थे। हम किसी खेल को खेलने से पहले उसके बारे में पहले से ही तय कर लेते थे, जिससे कोई गड़बड़ ना हो सकें। हम सब छिपन-छिपाई, पिट्ठू फोड़, ऊंच-नीच का पापड़ा, पकड़म पकड़ाई, डक-डक गूस, म्यूजिकल चेयर, पासिंग द पार्सल, डॉज बॉल, क्रिकेट, स्कीपिंग, साइकिलिंग, स्वीमिंग जैसे खेल खेलते थे। जब मम्मी हमें होमवर्क करने के लिए बुलाती थी, तब ही हम अपने घर जाते थे।

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2. हम मोगली, डक टेल्स, टेल स्पिन, सुपरमैन, अलादीन, सिलवेस्टर और ट्वीटी, रोड रनर, स्कूबी डू, फिल्नस्टोन्स, जॉनी ब्रावो, डेक्सटर, पावरप्रूफ गर्ल्स, मिक्की माउस, पॉपॉय : द सेलरमैन, टॉम और जैरी जैसे बेहतरीन कार्टून देखते थे। यह सारे कार्टून हिंदी में आते थे। इतना ही नहीं, हम शिनचैन और डोरेमॉन जैसे कार्टून से भी इतना कनेक्ट नहीं हैं, जितना हम इन सब से हैं। इतना ही नहीं, हमें इन कार्टून के जिंगल भी काफी अच्छे से याद है, जिससे हम सभी गर्व महसूस करते हैं।

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3. इतना ही नहीं, आपको कुछ ऐसे शोज भी याद होंगे जैसे-देख भाई देख, यह जो है जिदंगी, हम पांच, अलिफ लैला, बस मोहब्बत, हिप हिप हुर्रे, जी हॉरर शो, आहट, साराभाई वर्सिस साराभाई, मालगुडी डेज, शक्तिमान, सीआईडी, बूगी वूगी, महाभारत, चंद्रकांता, तू तू मैं मैं, बॉर्नविटा क्वीज कॉन्टेस्ट, अंताक्षरी के अलावा कई और ऐसे शोज थे, जो कि हमारे बचपन की याद दिलाते हैं।

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4. हमें कार्टून बनाने के लिए एक अच्छे स्केच पेन की जरूरत होती थी, इसके अलावा अगर हमें ड्राइंग करनी नहीं आती थी तब भी हम इन स्केच पेन को शो ऑफ करने के लिए भी खरीदते थे। अब यह स्केच पेन शायद ही बाजारों में मिलते हो।

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5. हम सभी को एग्जाम्स के दौरान अपने कोर्स टेस्ट बुक के बीच में कॉमिक बुक्स को रखकर पढ़ने में काफी मजा आता था। हम जानते हैं कि आपके पास भी उस समय चंपक, आर्चीज, चाचा चौधरी, नंदन, बालहंस, टिंकल, टिन टिन, फेंटम आदि जरूर होंगे।

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6. हमें प्राइज के तौर पर बेशकीमती नटराज, फैबर केसटल स्टेशनरी, एक्शन शूज, मिल्टन वॉटर बोतल, पेन पेंसिल, कलरफूल और खुशबूदार रबड़, हम से बड़ा स्कूल बैग। यही चीजें हमें स्कूल जाने वाले बच्चों के तौर पर परिभाषित करती थी।

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7. कट्टी-पट्टी उस समय जीवन और मृत्यु का मामला हुआ करता था, स्कूल के दोस्त बहुत खास होते हैं।

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8. 10 बजे तक जगना तब ऐसा लगता था जैसे कि हम रात भर उठे हुए हैं।

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9. क्योंकि हम सभी टेक्नोलॉजी के लिए नए थे, इस समय ही टेक्नोलॉजी ने भारत में कदम रखा था। उस समय मोबाइल फोन केवल बड़े और उच्च वर्गो के पास ही हुआ करता थे। उस समय वायर युक्त टेलीफोन काफी चलते थे, 15 घरों में से 1 घर में कंप्यूटर हुआ करता था।

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10. मारुती 800 – देश की गाड़ी, बजाज स्कूटर – देश का स्कूटर, एटलस (लड़कों के लिए) और लेडीबर्ड (लड़कियों के लिए) साइकिल पूरे देश में प्रसिद्ध थी।

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11. खाने में अंकल चिप्स, बुमर च्युइंग-गम, किसमी बार, रोला ए कोला, फेंटम स्वीट सिगरेट, पोपिन्स, नटखट, रूह अफजा, जैम्स, नेस्ले चॉकलेट आदि चीजों का सेवन करना उस समय काफी चला हुआ था। हम आज भी इन चीजों के स्वाद को महसूस कर सकते हैं।

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12. अंग्रेजी में कुछ लाइनें बोलना अपने आप में गर्व महसूस करवाता था, वेंगावॉयज, ब्रायन एडमस, रिकी मार्टिन, मैडोना, ब्रिटनी स्पीयर्स, लॉल डेल रियो आदि के इंग्लिश गानों की कुछ लाइने याद करने से काफी अच्छा लगता था।

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13. पूरे परिवार के साथ जब हम टीवी के सामने बैठते थे और टीवी में कुछ अश्लील चीज दिखाई जाती थी, तो हम अपनी आंखों को बंद कर लेते थे, कि हमने वह सीन नहीं देखा है।

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14. टीवी पर आने वाले विज्ञापन काफी आसान और दिलचस्प होते थे। इनमें नेरोलैक, निरमा, लिरिल, धारा घी, एयरटेल जिंगल, नेस्ले आदि आते हैं।

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15. बुक क्रिकेट, ट्रम्प कार्ड, पेन फाइट, फलेम्स, नेम-प्लेस-थिंग-एनिमल, क्रिसकॉस, राजा मंत्री, चोर, सिपाही, टिप टिप टाप टाप, फुगम फुगाई आदि खेलों को हम कक्षाओं या लंच टाइमिंग के दौरान खेलते थे।

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16. एक मैटनी या फिल्म का फ्रर्स्ट डे फ्रर्स्ट शो देखना अपने आप में गर्व महसूस करवाता था।

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17. ऑडियो कैसेट की एक विस्तृत श्रृंखला का संग्रह करना एक शौक हुआ करता था, इसी के साथ सीडी का इस्तेमाल करते समय होने वाली परेशानियों का सामने आना।

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18. जब टीवी रंगीन रंग के स्ट्रिप्स को दिखाता था, तो हम सभी चिढ़ जाया करते थे।

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19. उस समय एक बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड होना प्रेगनेंट होने के बराबर होता था।

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वो भी क्या दिन थे, हम सभी आज उन दिनों को याद करते हैं और गर्व से यह कहते हैं कि हम सब ने 90 के दशक में अपनी जिदंगी के सभी खास पलों को जी लिया है।

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