गर्भावस्था के समय का वो अनमोल पल जब एक महिला इस दहलीज पर अपना पहला कदम रखती है। तब वो ना जाने अपने बच्चे के लिये कितने सपने संजोए हुए रखती है। उस समय वो सिर्फ आने वाले नये जीव के स्वास्थ्य के बारे में ही सोच कर उन पलों का भरपूर आनंद उठाती है, पर क्या आप इन बातों से अनभिज्ञ हैं कि इन दिनों में होने वाले परिवर्तन आपके बच्चे को भी प्रभावित कर सकते हैं। आपके जीवन में होने वाली दैनिक क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं का सीधा असर आपके पेट पर पल रहे बच्चे पर पड़ता है। यहां तक कि उन दिनों पर महिलाओं की आदतों का कुछ असर उसके आने वाले शिशु के स्वास्थ्य से लेकर उसके दिमाग पर भी पड़ता है और इस बात को विज्ञान ने भी सिद्ध कर दिया है कि गर्भवती महिला के द्वारा किये गये दैनिक क्रियाओं का असर बच्चे पर पूरी तरह पड़ता है।
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आज इस आर्टिकल में हम आपको गर्भावस्था से जुड़ी ऐसी छह महत्वपूर्ण बातों को बताने जा रहे हैं जिसका उपयोग हर गर्भवती महिला को अवश्य करना चाहिये। साथ ही गर्भवती महिला ही नहीं बल्कि बच्चे के संपर्क में रहने वाले घर के प्रत्येक सदस्यों के साथ-साथ बच्चे के पिता को भी इस बात का ख्याल रखना काफी आवश्यक है।
यदि इन बातों पर अमल पूर्ण रूप से किया गया तो आपके बच्चे का दिमाग सिर्फ तेज ही नहीं होगा, बल्कि आपका बच्चा ब्रिलियंट पैदा होगा।
1. मां की ध्वनि
बच्चे के आगमन के बाद बच्चा मां की गोद को कम मां की आवाज को पहले पहचानता है क्योंकि गर्भस्थ शिशु इस आवाज को लगातार मां के गर्भ में रहकर सुनते आया है। उन दिनों में मां के द्वारा की जाने वाली हर क्रियाओं का असर सीधे पेट में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। इसलिये बुजुर्गों का भी कहना है कि इन दिनों में गर्भवती महिलाओं को अच्छा बोलना, अच्छा खाना और अच्छे आचरण के साथ रहना चाहिये। आज के विज्ञान ने भी इस बात को साबित कर बता दिया है कि गर्भवस्था के दिनों में गर्भवती महिलाएं जो भी करती हैं उसका सीधा असर गर्भ में पल रहे नवजात शिशु पर होता है। इसलिए उसे हमेशा सही आचरण के साथ रहते हुये उन खास पलों को जीना चाहिये।
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2. मस्तिष्क तेजी से बढ़ता है
मां के गर्भ में आने के बाद बच्चे का शारीरिक विकास जैसे-जैसे होता है वैसे ही उसका मस्तिष्क भी तीव्र गति से विकास करने लगता है। डॉक्टरों के मतानुसार गर्भधारण के 5वें महीने के बाद से गर्भ में पल रहा बच्चा मां की ध्वनि को सुन उसका रिस्पॉन्स भी देना शुरू कर देता है और मां की आवाज को तो वह तुरंत ही पहचान कर हलचल करना भी शुरू कर देता है।
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3. पौष्टिक आहार सबसे जरूरी
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि मां की हर क्रियायें बच्चे को प्रभावित करती हैं और इन दिनों में मां के द्वारा किये गये आहार का सेवन, चाहे वो समान्य हो या चटपटा, मीठा हो या तैलीय सबके स्वाद वो असानी के साथ पहचान लेता है क्योंकि मां के द्वारा किये गये भोजन का स्वाद बच्चे तक पहुंचता है। इसलिये उन दिनों में मां को “सादा भोजन, उच्च विचार” वाले भोजन का सेवन करना चाहिये।
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4. मां क्या करती है?
क्या आप जानते हैं कि मां के स्पर्श से बच्चे का मानसिक विकास प्रभावित होता है। मां की ममता को बच्चा पहचानने लगता है। मां किस तरह के वातावरण में रह रही है उसके इस वातावरण को बच्चा पूरी तरह से महसूस करता है। डॉक्टरों के अनुसार कभी मां के गर्भ पर किसी प्रकार के उपकरणों की सीधी रोशनी नहीं पड़ना चाहिये। यह बच्चे के लिए खतरनाक साबित होती है। साथ ही मां के खाने, पीने, सोने और चलने का तरीका भी बच्चा महसूस करता है। मां के सोने से लेकर उसके खाने पीने, उठने-बैठने और चलने तक के तरीके का असर भी बच्चे के मानसिक विकास पर विशेष असर डालता है।
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5. तनाव से रहें दूर
तनाव गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक मानी जानी वाली स्थिति होती है। इसके बने रहने से प्रेग्नेंसी के समय समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। कभी-कभी तो समय से पूर्व ही डिलिवरी हो जाती है। इसके अलावा इन दिनों में होने वाला तनाव बच्चे पर नाकारात्मक प्रभाव डालता है।
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6. डॉक्टर की सलाह
इन दिनों में बड़े बुजुर्गों से लेकर डॉक्टरों के द्वारा भी गर्भवती महिलाओं की यही सलाह दी जाती है कि मां को हमेशा शांत एवं खुश रहना चाहिए। जो बच्चे के मानसिक विकास को प्रभावित करता है। इस तरह से रहने से आपका बच्चा तेज़ दिमाग वाला पैदा होता है। यह स्थिति घर के सभी सदस्यों के ऊपर भी निर्भर करती है।