दिन भर काम करने के बाद रात का समय होता है सोने की। ऐसे में एक अच्छी नींद आपकी दिनभर की थकान को मिटा देती है और अगले दिन आपको फिर काम करने की उर्जा प्रदान करती है। लेकिन यही अगर रात में हम अच्छे से न सोये हो तो हमे पूरा दिन दिक्कत रहती है। पूरा दिन हमे सिरदर्द, बार बार झपकी आना और शरीर में दर्द की शिकायत रहती है। नींद न आने के बहुत से कारण होते हैं, मगर कई बार हमे नींद में अजीब से अहसास होते है जिनके चलते हमारी नींद टुट जाती है। कुछ लोगों को सोते समय झटके लगते है। बहुत से लोगों को यह परेशानी आती है, मगर सब इसे नजरअंदाज कर देते है। लेकिन क्या किसी ने कभी सोचा है कि इन सब के पीछे क्या वजह है। क्या यह एक समान्य प्रतिक्रिया है या फिर किसी तरह की बीमारी। आज इसी तरह के कुछ सवालों का जवाब इस लेख में दिया जाएगा।
1- नींद में झटके लगने का क्या है मतलब
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नींद के दौरान अचानक से लगने वाले इन झटकों को स्लीप स्टार्टर या हाइपनिक जर्क कहा जाता है। यह एक अवस्था है जोकि किसी इंसान के जागने और सोने के बीच होती है। इस अवस्था में व्यक्ति न तो पूरी तरह से सोया होता है और न ही जगा। इस तरह की अवस्था निद्रा के पहले चरण में होती है। इस अवस्था के दौरान आपकी सांसे और हार्ट की गति धीमी हो जाती है।
इस शारीरिक अवस्था को लेकर हुए के शोध में बताया गया कि यह अवस्था पूरी तरह से समान्य है। शोधकर्ताओं के मुताबिक 60 से 70 फीसदी लोगों को इस प्रकार के अनुभव होते रहते है। मगर अधिकतर मामलो में देखा जाता है कि जिन लोगों को हाइपनिक जर्क लगते हैं उन्हें उनके बारे कभी याद नही होता। बशर्ते इन झटकों से उनकी नींद न टूटी हो। अगर आप सोच रही है कि यह किसी तरह की कोई बीमारी या किसी प्रकार का नर्वस डिसऑर्डर है तो निश्चित हो जाइये, यह एक स्वभाविक अवस्था है।
2- हाइपनिक जर्क का कारण
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हाइपनिक जर्क या आसान भाषा में कहे तो नींद के दौरान लगने वाले इन झटको का आखिर कारण क्या रहता है। यूं इसे लेकर कोई प्रमाणित शोध नही हुआ है मगर अब कि रिसर्च के मुताबिक इसकी कई वजहें रहती है। इस अवस्था का अनुभव करने वाले कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें यह झटके तब आते हैं जब वह सपनो में कहीं से गिर रहे होते है या फिर परेशानी में होते है। हालांकि इसे लेकर वैज्ञानिकों का मत कहता है कि इन झटको का मुख्य कारण मानसिक तनाव, थकान, चिंता, अधिक कैफिन लेना, अनिद्रा इत्यादि होता है। गलत पोजिशन में सोना भी इन झटको की एक वजह बनता है।
3- हाइपनिक जर्क के दैरान दिमाग की स्थिति
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जैसा कि आप जानते ही हैं कि सोते समय हमारे शरीर की सभी मांसपेशिया आराम की अवस्था में होती हैं। वहीं हमारा दिमाग भी पूरी तरह शांत रहता है। ऐसे में जब हम कोई सपना देखते हैं और उसमे अगर हम किसी पहाड़ या गाड़ी इत्यादि से गिर रहे होते हैं तो दिमाग उसे सच मानकर मांसपेशियो को हरकत करने का सिग्नल दे देता है। जिसके चलते सोते सोते अचानक हमारी मांसपेशिया प्रतिक्रिया कर देती है और हमे झटका लगता है। इसक एक अन्य कारण यह भी रहता है कि सोते समय अगर हमारी मांसपेशियों में ऐंठन रहती है तो भी हमे हाइपनिक जर्क का अनुभव होता है।
4- बचाव के उपाय
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हाइपनिक जर्क से बचाव हेतु जरुरी है कि आप रात के समय नसों को उत्तेजित करने वाली किसी भी तरह की दवा का सेवन न करें। इसके अलावा रात के समय कैफिक का सेवन करने से बचे। रात को पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। सोने से पहले किसी भी तरह का थकान भरा काम हाइपनिक जर्क का कारण बन सकता है इसलिए ऐसा कोई भी काम करने से बचे।
