मां के प्यार भरे गुस्से की ये लाइनें…

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मां की ममता को कोई पहचान नहीं सकता, क्योंकि हर मां अपने बच्चों के लिए ममता की मूरत होती है। बच्चे के एक आंसू से मां का आंचल पहले भीग जाता है। जिस तरह से उसका प्यार हमारे लिए जरूरी होता है, उसी तरह से मां का गुस्सा भी… क्योंकि उनके गुस्से में भी प्यार नजर आता है। जब वह अपना गुस्सा दिखाती है तो वो अपने गुस्से के द्वारा हमें अपनी गलतियों का एहसास भी कराती है।

आज मैं ऑफिस में जाने के लिए जैसे ही तैयार होने लगी घड़ी में देखा 9 बज चुके थे, तभी मां की आवाज गूंजने लगी। वह मेरे जाने के लिए लंच भी तैयार कर रही थी और अपने शब्दों की फुलझड़ियां भी छोड़ रही थी। हर मां का अपने बच्चों को डांटने के लिए एक जैसे ही शब्दों का उपयोग करती है। जिस प्रकार से मेरी मां मुझे डांट कर मेरे द्वारा की गई गलतियों का एहसास करा रही थी आज हम आपको भी उन सभी लाइन के बारे में बता रहे हैं, जो हमें काफी मसालेदार होने के साथ-साथ मीठी भी लगती हैं। इसी कारण इस लाइन को सुनने के लिए हम हमेशा ही गलती भी करते रहते हैं।

‘आग लगा दूंगी तेरे इस मोबाइल में… हर समय किससे बात करती रहती है?’

हर भारतीय मां के मुंह से अपने बच्चों को डांटने के लिए ये शब्द आप ज्यादा ही सुनते होंगे, जब आप किसी से अपने मोबाइल पर बात कर रहे होते हैं तभी मां अपने इन्हीं शब्दों से आपको डांटने लगती है। जिससे आप कुछ समय के लिए नराज भी हो जाते हैं। आप ये समझिए कि इस डांट में भी आपकी गलती का एहसास हर मां आपको कराती है।

rekha (1)Image Source: idiva

‘तुम्हारी उम्र में मैं तो…… ब्ला! ब्ला! ब्ला!’

हर मां एकदम सही बोलती है, इसका एहसास हमें तब होता है जब हम बड़े हो जाते हैं। वो सभी काम करने पड़ते हैं जिन्हें मां अकेले करके हमें डांटा करती थी कि इस उम्र में वो कितना काम कर लेती थी। सचमुच तब हमें पता लगता है कि हम काम से कितना जी चुराते थे।

dimple-kapadia-bollywood1Image Source: shewalitiwari 

‘ऐसे दोस्तों की संगत में रहकर तुम बिगड़ चुके हो’

यह लाइन ज्यादातर सभी बच्चों को सुनने को मिलती है। जब बच्चे ज्यादा देर तक अपने दोस्तों के साथ समय व्यतीत करने के बाद घर पहुंचते हैं। घर के काम करने पर नखरे करने लगते हैं या फिर जब किसी काम को करने के लिए मना कर देते हैं।

Typical-Mom-Dialogues-31Image Source: thestupiddesign 

‘गुप्ता जी के बच्चों से कुछ सीखो, कितने अच्छे मार्क्स लाते हैं’

जब साल भर की पढ़ाई के बाद रिजल्ट आता है और मां उस रिजल्ट को देखती है तो उनकी बैठक चालू हो जाती है। दूसरे बच्चों की उलाहना के साथ हर मां तुलना करने में लग जाती है और कहती है कि जब पड़ोसी का बच्चा इतने अच्छे मार्क्स ला सकता है, तो तुम्हारे क्यों नहीं आते।

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‘इस घर में मेरी कोई वैल्यू ही नहीं है’

मां बच्चों के लिए सभी काम करती है। बच्चा यदि मां के खिलाफ बात कर दे तो मां को काफी दुख होता है। उसे लगता है कि उनकी बातों का अब कोई असर नहीं हो रहा है। बच्चों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए उनका एक ही डायलॉग होता है। इस घर में तो मेरी कोई वैल्यू ही नहीं रह गई है। बस क्या है फिर मां जीती सब हारे।

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‘पहले तुम फोन रखो फिर मुझसे बात करो’

यदि आप अपनी मां की कोई सहायता करने की कोशिश कर रहे हो और मोबाइल पर बात भी कर रहे हो तब मां का यही सुझाव होता है पहले तुम फोन रखो फिर मुझसे बात करो।

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‘बेटा घर कब आओगे’

सबसे जरूरी एक बात जो हर मां के दिल में अपने बच्चों के लिए होती है। जब उनका बेटा या बेटी घर से बाहर काम पर या किसी अन्य काम से जाते है। अगर बाहर देर हो जाती है तो मां का फोन तुरंत आ जाता है। अपने बच्चों की खैर खबर लेने के लिए हर मां की एक ही लाइन होती है। बेटा घर कब आओगे, तुम ठीक तो हो ना। यह होती है मां ….जिसकी ममता को आज तक कोई नहीं पहचान सका है।

gharImage Source: youthconnect

इस आर्टिकल में लिखी गई लाइनों में किसी एक मां के शब्द नहीं हैं। यह हर मां की लाइन है और इसमें कुछ न कुछ सीख भी होती है, जो बच्चों को अंधेरे की खाई से निकाल कर उजाले की ओर ले जाती है। मां की डांट में भी ममता छिपी रहती है, जिसका आभास हमें खुद मां-बाप बनने के बाद ही होता है।

Naina
Nainahttps://hindi.blushin.com
"जिंदगी कितनी खुबसूरत है ये देखने के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं है, जहाँ हम अपनी आंखे खोल ले वहीँ हम इसे देख सकते है ।"

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