जब किसी घर में किसी नन्हे मेहमान का आगमन होता है तो वह वक्त उस परिवार के लिए किसी जश्न से कम नहीं होता है। जहां पूरा परिवार नए मेहमान के आगमन की खुशियां मना रहा होता है। वहीं यह नन्हा मेहमान आपके जीवन में खुशियों के साथ-साथ कई जिम्मेदारियां भी लाता है।
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एक औरत के लिए मां बनना जहां दुनिया का सबसे बड़ा सुख होता है। वहीं इस नन्ही सी जान की सही देखभाल करना भी एक मां की ही जिम्मेदारी होती है। हर मां-बाप के लिए उनके बच्चे से प्यारा कुछ नहीं होता है। इसलिए ज्यादातर पहली बार मां-बाप बने कपल अपने शिशु के स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा चिंतित रहते हैं। वहीं बच्चे के जन्म के बाद कुछ महीनों तक मां की जिम्मेदारियां भी काफी बढ़ जाती है। क्योंकि शुरूआत में शिशु बहुत ही नाजुक होता है। उसे स्वस्थ व रोगमुक्त रखने के साथ-साथ अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है। वहीं यह आवश्यकता तब ज्यादा बढ़ जाती है जब मौसम सर्दियों का होता है।
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ऐसे में आज हम आपके नवजात शिशु के स्वास्थ्य की विशेष देखभाल को लेकर यह आर्टिकल लेकर आए है। जिसमें हम आपको नवजात के स्वास्थ्य की विशेष देखभाल के बारे में बताएंगे। लेकिन सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि सर्दियों का मौसम में अगर आपका बच्चा अस्वस्थ है तो उसे डॉक्टर को दिखाएं । इसके अलावा आपको बता दें कि नवजात का शरीर बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होता है। ऐसे में कमरे के तापमान को नॉर्मल रखें। क्योंकि कमरे का तापमान ज्यादा या कम होना बच्चे के लिए नुकसानदायक हो सकता है। तो चलिए जानते है ऐसे ही कुछ टिप्स जिनकी मदद से आप भी करें अपनी नन्दी सी जान की सही देखभाल…
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1. स्तनपान जरूरी
जैसा की सबको पता होता है की नवजात के लिए करीब 6 माह तक मां का दूध पिलाना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि मां के दूध में कोलेस्ट्रॉम नामक एक पदार्थ होता है। जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है। शायद इसीलिए नवजात शिशु के लिए मां का दूध सर्वोत्म माना गया है।
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2. बच्चे को ढक कर रखें
नवजात शिशु का शरीर बहुत ही नाजुक होता है ऐसे में शिशु अपने आपको बाहरी तापमान के अनुरूप नहीं ढाल पाते हैं। तो माता पिता को चाहिए की वह अपने बच्चे को हमेशा ढक कर ही रखें। साथ ही बच्चा जिस कमरे में हो उस कमरे का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही होना चाहिए।
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3. शिशु की मालिश
जन्म के समय नवजात शिशु की हड्डियां बहुत ही नाजुक होती हैं ऐसे में शिशु की हड्डियों को मजबूत करने के लिए मां को चाहिए की वह बच्चे को मालिश जरूर करें। वैसे भी सर्दियों का मौसम है तो बच्चे को धूप में लिटाकर मालिश करना चाहिए। जिससे की बच्चे को धूप में सूर्य की रोशनी से विटामिन-डी मिले जो कि नवजात के शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। नवजात की मालिश के लिए बाजारों में आजकल कई तरह के तेल उपलब्ध हैं। वैसे पिछले समय में बच्चों की मालिश घी या बादाम के तेल से की जाती थी। आप चाहें तो उनका भी मालिश में इस्तेमाल कर सकती है।
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4. बच्चे का रोना
छोटा बच्चा जब रोता है तो मां-बाप को चिंता सताने लगती है कि कहीं बच्चे को कोई परेशानी तो नहीं है। इसको लेकर वह काफी परेशान भी हो जाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि नवजात का रोना हमेशा चिंता की बात नहीं होती है। ज्यादातर नवजात शिशु भूख लगने या बिस्तर गीला होने पर रोना शुरू करते हैं। इसलिए बच्चों के रोने के इन बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अगर फिर भी बच्चा ज्यादा रो रहा है तो आपको फिर किसी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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5. शिशु के लिए फोटोथेरेपी
जैसा की हमने पहले भी बताया की नवजात शिशु के लिए धूप बहुत जरूरी होती है। नवजात को कुछ देर धूप में घुमाने की प्रकिया को फोटोथेरेपी कहा जाता है। इससे नवजात की हड्डियां मजबूत होती है। इसलिए अपने बच्चे को थोड़ी देर के लिए ही रोजाना धूप में जरूर घूमाएं।
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6. शिशु के खान-पान पर ध्यान
जैसा की आप सबको पता ही है कि 6 महीने तक बच्चे को केवल मां का दूध देना चाहिए। इसलिए 6 महीने के बाद आप बच्चे को ठोस आहार देना शुरू कर दें । लेकिन ध्यान रहे कि ठोस आहार का मतलब यह बिल्कूल नहीं कि बच्चे को ऐसा आहार दिया जाए जिससे उसको पचाने में दिक्कत हो। ठोस आहार का मतलब खीर, दलिया, सेरेलेक, खिचड़ी आदि से है। इसे बच्चे आसानी से धीरे-धीरे पचा लेते हैं।
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7. शिशु के कपड़ों पर ध्यान
नवजात शिशु बिल्कूल एक फूल के समान होता है। उसकी त्वचा बहुत कोमल होती है कि इसलिए ध्यान रखें कि शिशु को सिर्फ कोमल कपड़े ही पहनाएं। जिससे उसकी त्वचा को कई नुकसान ना होने पाए। इसके अलावा मां को चाहिए की वह शिशु के कपड़े बिल्कूल अलग से धोएं और अलग से ही सुखाएं। जिससे की उसकी नाजुक त्वचा संक्रमण रहित रहे।