आमतौर पर स्कूल से छुट्टी करके घर आते के बच्चों की खुशी उनके चीखने चिलाने की आवाज से पता चल जाती है। मगर कई यही बच्चे बिना किसी आवाज के घर पर आकर चुपचाप बैठ जाते है। ये उस समय होता है जब बच्चे स्कूल में किसी चीज में असफल हो गए हों। ऐसी स्थिति में न तो वह खाना खाते है और न ही टीवी देखते है। बस अपने कमरे में या फिर सबसे अलग होकर अकेले बैठ जाते है।
अगर आपके बच्चों में भी कुछ ऐसी ही आदते दिख रही हैं तो इस स्थिति में आपको अपने बच्चे को यह समझाना चाहिए कि वह किस तरह से इन असफलताओं से उभर सकते हैं और आगे आने वाली चुनौतियों का सामना कर उनमे सफल हो सकते है। आज हम आपको कुछ ऐसी जरुरी बाते बताएंगे तो आपके बच्चे के मनोबल को दृढ़ करेंगी और आपके बच्चे को असफलता से लड़ने की इच्छा शक्ति देंगी।
1- कोशिश की तारीफ़ करना जरुरी
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एक मां होने के नाते यह आपका पहला फर्ज बनता है कि आप अपने बच्चे से बात करें और उसके द्वारा की गई कोशिश की सराहना करें। अपने बच्चें को समझाएं की परीक्षा में सफलता असफलता होती रहती है। जरुरी यह रहता है कि हमने कितने मन से कोशिश की। बच्चे के मन में यह इच्छा पैदा करें कि अगर वह इस कोशिश में असफल हो गया है तो अगली दुगनी मेहनत कर सफल हो। आपके इस तरह के विचार बच्चे में नई उर्जा पैदा करेंगे और बच्चा अगली परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करेगा।
2- ग़लती से सबक लेना चाहिए
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बच्चों को यह सिखाएं कि अपनी हार से निराश न हो। बल्कि हार के बाद अपनी परफॉरमेंस की समीक्षा करें और देखे की उनसे कहां चुक हुई और फिर उस कमजोर पक्ष पर काम करें ताकि अगली परीक्षा में वह अपनी उस गलती को न करें। इसमें आप बच्चे की मदद कर सकती है। उनसे एक दोस्त बन कर बात करें ताकि बच्चा बिना झिझके अपनी सारी बाते आपसे शेयर करे।
3- दबाव न डाले
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कई बार देखा जाता है कि परीक्षा में नंबर कम आने पर माता पिता बच्चों पर चिल्लाते है और उन अधिक मेहनत कर अच्छे नंबर लाने के लिए दबाव डालते हैं। आपको बता दें कि इस तरह का रवैया बिल्कुल गलत है। यह तरीका बच्चों की मानसिक स्थिति को भी प्रभावित कर सकता है। बहरहाल जरुरी है कि आप बच्चे पर कोई भी दबाव न डाले और बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाएं ताकि वह परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करे।
4- खुद को संतुलित रखें
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बच्चों का व्यवहार अक्सर माता पिता से प्रभावित होता है। लगभग सभी बच्चे अपने माता पिता के व्यवहार को अवशोषित करते हैं। ऐसे में आपके लिए बहुत जरुरी रहता है कि आप अपनी असफलताओं को अपने व्यवहार से बच्चों के समक्ष उजागर न होने दे। अगर ऑफिस की कोई परेशानी है भी तो उसे अकेले में या बाहर जाकर ठंडे दिमाग से सुलझाए।