आज के मौजूदा परिवेश के एकाकी जीवन ने संयुक्त परिवार जैसी वर्षों पुरानी परंपराओं को भले ही अलविदा कह दिया हो। पर यदि पारिवारिक सुख की बात करें तो संयुक्त परिवार में मिले सुख से बेहतर कुछ नही हो सकता है। संयुक्त परिवार से मिलने वाली खुशियां दीर्घकालीन होती हैं जिसका अनुभव आप कठिनाई व दु:ख की घडि़यों में महसूस कर सकते है। जो लोग ऐसे परिवार में पले-बढ़े हुए होते हैं, वे लोग ही इसके अनुभव को महसूस कर सकते है। इतना ही नहीं ऐसे लोग हर कठिन परिस्थिति से लड़ने का सामर्थ रखते है।
लेकिन ऐसे बड़े परिवार में तालमेल बिठाने में तब समस्या आती है जब किसी दूसरे घर की बेटी एक नई बहू बनकर बड़े परिवार में आती है। क्योकि वो नये रिश्तो के साथ नई-नई ज़िम्मेदारियों के बोझ में दब जाती है। ऐसे में हर नई बहू को संयुक्त परिवार में कुछ तालमेल बिठाकर सामजस्य रखने की जरूरत होती है।
आज हम अपने आर्टिकल के द्वारा संयुक्त परिवार में एक नई बहू किस तरह से करें एडजस्ट.. इसकी जानकारी से अवगत करा रहे है। जिससे वो हर तरह से घर को खुशिया काफी असानी के साथ बांट सकती है।
रिश्तेदारों का करें सत्कार –
एक संयुक्त परिवार में जब नई बहू प्रवेश करती है। तो चार लोगों से चार प्रकार की अच्छी व बुरी बाते सुनने को मिलती है। जिनके बारें में हो सकता है आपने पहले से भी कुछ न कुछ सुन रखा हो, लेकिन उनकी कही सुनी बातों के आधार पर कोई गलत निष्कर्ष ना निकालें। आपको अपनी समझादारी के अनुरूप ही सभी लोगों के प्रति राय बनानी चाहिए। साथ ही हमेशा बड़ों को आदर व बच्चों को प्यार देने की कोशिश करें।
गॉसिप से रहें दूर –
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जब परिवार बड़ा होता है तो जाहिर है कि चटपटी गॉसिप भी बहुत सारी होगी। ऐसे में परिवार के नए सदस्य जुड़ने के नाते आपको कोशिश करना चाहिये कि चटपटी तीखी बातों को अपने मन में ना लें। और हंसते हुये उन बातों को अपने तक ही रखें।
शब्दों में हो दम –
संयुक्त परिवार में हर रिश्ते निभाने के लिए सबसे ज़रूरी बात यह है कि आप अपने स्वभाव में कठोरता ना लायें। और सभी से धीमें स्वर में बात करें। याद रखें कि परिवार में सभी लोग अलग अलग स्वभाव के होते हैं, ऐसे में आपको नहीं पता होता कि आपके कहे शब्दों को कौन किसे तरह से स्वीकार करेगा। इसलिए कोशिश कीजिए कि एक मध्यस्थ रास्ता अपनाते हुए सभी के साथ तरीके और संयम के साथ बात करें।
शिकवे न रखें –
ये कहावत तो जग जाहिर है कि घर में जब चार बर्तन होते हैं तो खटकते ही है, यह कहावत संयुक्त परिवार को देखते ही बनाई गई थी। जो बिल्कुल सटीक बैठती है। क्योकि परिवार में चार अलग-अलग स्वभाव के लोग एक साथ रहते हैं और इनके बीच किसी भी बात को लेकर भी मन मुटाव होना मुमकिन है। लेकिन नई बहू होने के नाते आपकी कोशिश यह होनी चाहिए कि आप किसी से कोई शिकवा या शिकायत न रखें। और एक दूसरे के साथ प्रेम व्यवहार बनाकर रखें। घर के सभी सदस्यों की इज्जत करें।
समझें ज़िम्मेदारियां –
बड़े परिवार का मतलब है कि हक किसी के प्रति वफादारी। परिवार का हिस्सा होने के नाते आपका कर्त्वय वनता है। बड़ों से साथ रहकर आप अपनी जिम्मेदारी को बाखूबी समझकर उनका साथ दें। क्योकि परिवार में हर सदस्यों के हिस्से में थोड़ी-थोड़ी ज़िम्मेदारी भी आती है, जिन्हें हर मुमकिन कोशिश कर पूरा करना सभी का कर्त्तव्य है। अब जब आप परिवार का हिस्सा हैं तो आप भी अपने कर्तव्यों को वफादारी के साथ निभाने की कोशिश करें।
मदद करें सबकी –
परिवार बड़ा हो या फिर छोटा हर काम एक दूसरे के मदद के बिना संभव नही होता। परिवार में हर किसी को एक दूसरे की जरूरतों को समझने की जरूरत होती है। इसलिये जब आपका रिश्ता एक बड़े परिवार से जुड़ता है तो इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि आप अकेले नहीं जी रहे हैं, आपके साथ बहुत से रिश्ते जुड़े हैं। इसलिए हमेशा साथ मिलकर रहें और एक दूसरे की मदद करते रहें।
बनाएं हेल्दी रिश्ता –
परिवार में एक दूसरे के प्रति प्रेम व्यवहार बना रहे। इसके लिये जरूरी होता है एक दूसरे का पूरा ख्याल रखें। घर के सद्स्यों को भी चाहिये कि नई बहू के साथ बेटी जैसा व्यवहार करें। सभी लोग एक दूसरे की मदद के साथ घर का काम करें। किसी एक के ऊपर पूरे घर की जिम्मेदारियां सौपकर अपने जिम्मेदारी से हाथ धोने की कोशिश कतई ना करें। तभी परिवार एक हो सकता है।