पुर्नजन्म सच्चाई या भ्रम…

-

मृत्यु दुनिया का सबसे बड़ा सत्य है और वो अटल है। जिसने भी दुनिया में जीवधारी बन कर जन्म लिया है, उसे एक न एक दिन इस दुनिया को छोड़ना ही है। पर एक सवाल जो हमेशा इंसानों के जहन में उठता है कि क्या हमें मरने के बाद का अनुभव होता है, और अगर होता है तो वो कैसा होता है। हालांकि यह अभी भी विज्ञान सहित कई लोगों के लिए एक रहस्य बना हुआ है। मैंने मौत का अनुभव तो नहीं किया है, लेकिन एक करीबी की मौत को बेहद करीब से अनुभव जरूर किया है। उसकी मौत के दर्द को महसूस भी किया है। कई बार आपने सुना होगा कि किसी की मौत की पुष्टि होने के बाद भी वो कुछ देर बाद मृत्यु शैया से उठ खड़ा हुआ। ये भी खबरें देखने को मिलती है कि किसी के दिल ने धड़कना बंद करने पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया लेकिन एका एक फिर उसका दिल धड़कने लगा। आप किसी भी अस्पताल के आपातकालीन वार्ड या आईसीयू में जाएं तो आप पाएंगे कि इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं।

Life After Death1Image Source: https://i.huffpost.com/

कई मामले तो ऐसे भी सुनने में आते हैं कि लोग ऐसी दशा में भी अपने प्रियजनों से बात करने का दावा करते हैं। इस विषय को लेकर लोंगो की अलग अलग सोच सकती है, पर एक सवाल जो सबके मन में रहता है कि आखिर मृत्यु के बाद होता क्या है। आखिर तकनीकी रूप से पुनर्जन्म की हकीकत क्या है…. निजी तौर पर, मैं पुनर्जन्म में विश्वास करती हूं। इतना ही नहीं मैं एक हिंदू परिवार से हूं और मेरी धार्मिक मान्यताओं में पुनर्जन्म की पुष्टि होती है। मैने लोंगो के अनुभवो के बारे में भी सुना है और मैने पार लौकिक शक्तियों में विश्वास रखने वालों से बात की है और वे मृत्यु के बाद आत्माओं के साथ बातचीत करने का दावा भी करते हैं। लोगों की ये भी मान्यता है कि मृत्यु के बाद भौतिक शरीर को छोड़ने के बाद भी आत्मा इस ब्रह्मांड में किसी ना किसी रूप में मौजूद रहती है, क्योंकि आत्मा को अजर अमर बताया गया है।

तर्क vs विश्वास-
तर्क हमेशा विज्ञान के साथ नहीं होता है या यह भी कह सकते हैं कि तर्क और विज्ञान के रास्ते अलग-अलग हैं, पर कभी कभी दोनो एक दूसरे के पूरक भी दिखते हैं। लेकिन यह तो तय है कि विज्ञान के पास इस क्यों का जवाब नहीं है। विज्ञान के पास बिना भौतिक या शरीर के अस्तित्व के कुछ कह पाना संभव नहीं है। ये दुनिया का सर्वमान्य सत्य है कि आत्मा का ना तो सृजन होता है और ना ही उसका विनाश ही होता है। आत्मा विभिन्न रूपों में इस दुनिया में कहीं न कहीं मौजूद रहती है। कई धर्मों में मौजूदा जीवन में किए जाने वाले कर्मो के लेखा-जोखा का जिक्र होता है।

Life After Death2Image Source: https://assets4.bigthink.com/

इसका मतलब यह हुआ कि इंसान जो भी कार्य करता है, उसकी करनी का लेखा-जोखा तैयार होता रहता है और उसी के आधार पर उसे कर्म का प्रायश्चित करना पड़ता है। इस तर्क के पीछे की सच्चाई भले कुछ भी हो लेकिन इतना तो तय है, कम से कम किसी भी गलत कार्य को करने से पहले जवाबदेही का डर गलत रास्ते पर जाने से जरूर रोकता है। ईश्वर पर आस्था तो निर्विवाद है। लेकिन हम यह भी जानते हैं, कि ईश्वर भौतिक रूप में ना तो हैं और ना ही किसी ने देखा है। हाँ, यह व्यापक रूप से एक विवादास्पद मुद्दा जरूर है। यह पूरी तरह से एकमात्र विश्वास पर आधारित है और दस्तावेजों पर इसका कोई आधार नहीं है। इसी लिए विज्ञान के पास तर्क की कोई गुंजाइश नहीं होती है। इसका कारण यह है कि विज्ञान पूरी तरह से असाधारण घटनाओं के अस्तित्व को नकारता है।

Every-person-is-born-again-on-earth,-based-on-reincarnationImage Source: https://fbcdn-photos-a-a.akamaihd.net

मृत्यु के बाद जीवन को देखने और अपने अनुभवों के बारे में बताने के लिए पृथ्वी पर वापस आने की बात को निराधार मानता है। लेकिन दूसरी ओर तथ्यात्मक रूप से देखें तो इस पर रिसर्च कई भी हुई है, कुछ साल पहले, साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय में वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रिया में लगभग 15 अस्पतालों में हृदय की बीमारी से पीडि़त 2,000 से ज्यादा लोंगो की जांच में 4 साल बिताए। वे ऐसे लोगों से मिले जिन्हे चिकित्सकीय तौर पर मृत घोषित कर दिया गया था, लेकिन उनमें से लगभग 40 लोगों की धड़कनें फिर से शरू हो गई। साउथेम्प्टन की एक बूढ़ी औरत को मृत घोषित कर दिया गया था, लेकिन बाद में उसका दिल फिर से धड़कने लगा। उस दौरान के उसके अनुभव को जब पूछा गया तो उसका जवाब हैरान करने वाला था। उसे मशीनों की आवाज और कार्यालय के कर्मियों की कार्यवाही महसूस हो रही थी। अब सवाल यह कि पुनर्जन्म जब कुछ भी नहीं है, तो धर्म में इन बातों का जिक्र और लोगों की मान्यताएं आखिर क्या हैं।

धर्म क्या कहता है
प्राचीन काल में लोग खानाबदोश का जीवन जी रहे थे। समय बीतने के साथ लोंगो में समझ और व्यवस्थित जीवन जीने के तौर तरीकों का विकास हुआ। वहीं आज के युग की तरह पहले विज्ञान नही था। विज्ञान के अभाव में कुदरती आपदाओं का सामना करने की कोई तकनीक मौजूद नही थी। उस समय मौसम परिवर्तन हो या प्राकृतिक आपदा को धर्म और ईश्वर से जोड़कर देखना शुरू किया। नतीजन लोगों की आस्था धर्म और किसी एक सुपरपावर पर बढती गई। जिससे अलग-अलग धर्मों में उस पावर को अलग अलग नाम से पुकारने लगे। उसे सारी शक्ति का केन्द्र समझने लगे। हर घटना के पीछे उसी सुपर पावर को मानने लगे। उन्हें लगने लगा कि वही है जो सर्व शक्तिमान है। जो हो रहा है, वह उसी सुपरपावर की वजह से हो रहा है। कालांतर में अलग अलग कार्यों के लिये अलग अलग देवताओं की आराधना करने लगे। वैसे तो हर धर्म में जीवन, मृत्यु और पुर्नजन्म की अवधारणा को समझने का अपना अलग अलग तरीका है। अफ्रीकी समाज में ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के बाद भी परिवार के सदस्य का उसी परिवार में पुनर्जन्म होता है और वह अपने ही परिवार में रहता है। दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मिस्र की सभ्यता में इसे माना गया है। वहां भी इस विषय को गंभीरता से लेते है। वहां मृत्यु को शाश्वत माना गया है।

Religion confusionImage Source: https://vegisphere.com/

वहीं मृत्यु को लंबी यात्रा का सिर्फ एक हिस्सा माना गया है। वहां अपने परिजन को मौत के बाद शव को ताबूद में ममी बना कर मृतक की निजी उपयोग की वस्तुओं को साथ में रखा जाता था। ताकि उसका पुर्नजन्म हो तो उसको उसकी प्रिय वस्तुएं मिल सके। जबकि ईसाई धर्म में और इस्लाम धर्म में मृत्यु के बाद अपने कर्म के आधार पर फल प्राप्ति की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि जिसकी कर्म अच्छे होते हैं, उसे स्वर्ग और जिसकी कर्म खराब होते हैं, उसे नरक की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में भी लगभग ऐसी ही मान्यता है। यहां पर कर्म को प्रधानता दी जाती है। हिंदूओं की ऐसी मान्यताएं हैं कि विभिन्न योनियों में जन्म लेने के बाद अंत में मोक्ष प्राप्ति के लिए इंसान के रूप् में जन्म लेना पड़ता है। ताकि अच्छे कर्मो से मोक्ष प्राप्त हो सके। हालांकि ऐसा माना जाता है कि आत्मा कभी नही मरती वो अजर तथा अमर है। जिसे ना तो काटा जा सकता है और ना जलाया जा सकता है। धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि आत्मा कभी नहीं मरती है। वहीं विज्ञान की मान्यता एकदम अलग है। बिना तर्क के विज्ञान किसी को मान्यता नहीं देता। विज्ञान के सामने अभी तक ईश्वर की मौजूदगी को साबित नहीं किया जा सका है। इस वास्तविकता को साबित करने के लिए बहस सदियों से चली आ रही है। ऐसा लगता है कि ये बहस सदियों जारी रहेगी।

Religion confusionImage Source: https://3.bp.blogspot.com/

जन्म मरण के इस बधंन पर मनुष्य की आस्था जुड़ी हुई है, उस पर इस तरह की आलोचना करके उसे खत्म नही किया जा सकता है। आज हमारे विज्ञान ने भले ही कितनी ऊचाईयों को छू ली हों, पर वह इस रहस्य को आज भी नही खोज पाया है कि मरने के बाद आत्मा कहां जाती है। तर्क के बीच हमारे धर्म की आलोचना करना सही नही है। हम अगर अपने जीवन पर विश्वास करते हैं, तो मृत्यु और उसके बाद फिर से जीवन को भी स्वीकार करना होगा। हर व्यकित पुर्नजन्म के आधार पर ही पृथ्वी पर दोबारा जन्म लेता है। इसे व्यवस्था को संचालित करने की शक्ति एक मात्र ईश्वर के हाथों पर निर्भर करती है। इसलिए जीवन और उससे जुड़ी सभी गतिविधियां ईश्वर के लिए ही होनी चाहिएं।

Naina
Nainahttps://hindi.blushin.com
"जिंदगी कितनी खुबसूरत है ये देखने के लिए हमें ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं है, जहाँ हम अपनी आंखे खोल ले वहीँ हम इसे देख सकते है ।"

Share this article

Recent posts

Popular categories

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent comments