आज हम शिक्षक दिवस मना रहे हैं और सर्वप्रथम आप सभी को यह कहना चाहेंगे कि जीवन में उस हर एक व्यक्ति, स्थिति-परिस्थिति या अनुभवों के प्रति कृतज्ञ होना हमारा कर्त्तव्य है जिन्होंने हमें जाने-अनजाने बहुत कुछ सिखाया है और जीवन जीने की एक नई दिशा दी है । उनके प्रति अपना आभार प्रकट करने में हमें चूकना नहीं चाहिए। देखा जाए तो अध्ययन-अध्यापन या सीखना-सिखाना हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। बचपन में मां हमारी पहली विद्यालय होती है, उसके पश्चात् अनेकों लोगों से ये जीवन हमें दो-चार कराता है जिनसे हमें अंधेरों से उजाले की तरफ जाने की सीख मिलती है ।
आईये इस आलेख के द्वारा जानते हैं कि आखिर क्यों अध्यापकों का हमारे जीवन में इतना महत्व है।
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अध्यापकों का महत्व:
शिक्षकों के महत्व को वास्तव में कुछ शब्दों भर से वर्णन करना बड़ा ही मुश्किल होगा । वे हमें न केवल तराश कर आज के इस कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले समय में भाग लेने योग्य बनाते हैं बल्कि जीवन जीने के कई मायने सिखलाते हैं। उनकी अनेकों ऐसी विशिष्टताएं हैं जो हम यहां आपको बताने जा रहे हैं।
1. देते हैं हमारे हर सवाल का जवाब
हमारे टीचर हमें अनेकों सवालों के चक्रव्यूह से बाहर निकालते हैं, जब-जब हम किसी उलझन में होते हैं वो झट से उसको सुलझा दिया करते हैं । न केवल किताबी बातें बल्कि जीवन की अन्य समस्याओं के भी हल उनके पास होते हैं।
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2. जीवन में आगे बढ़ने और कुछ अर्जित करने को प्रेरित करते हैं
स्कूल के समय से ही जब हम इस पसोपेश में होते हैं कि बड़े होकर क्या करना है, क्या बनना है, या कौन सा करियर चुनना है, तब हमें अपने गुरु की आवश्यकता होती है । ऐसे में वे हमारा उचित और आवश्यक मार्ग-दर्शन करते हैं । क्योंकि टीचर से ज़्यादा ये किसको पता होगा कि छात्र की अभिरुचि किस तरफ है और वो किस क्षेत्र में दक्ष है। इसलिए एक टीचर से बेहतर आपके करियर का चुनाव और भला कौन कर सकता है।
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3. हर समस्या का समाधान करते हैं
जब भी हमारे सामने पहाड़ जैसी कोई समस्या आ जाती है तो उसका निवारण भी एक गुरु से अच्छा कोई नहीं कर सकता वो चाहे फिर आपके पढाई-लिखाई से सम्बंधित हो या यार-दोस्तों से हुए किसी मनमुटाव का मुद्दा, सब का समाधान टीचर चुटकियों में कर देते हैं ।
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4. हमारे अच्छे दोस्त होते हैं टीचर
अब बेशक हमें याद न हो पर बचपन में स्कूल के दिनों में टीचर्स हमारे साथ ऐसे घुले-मिले से रहते हैं जैसे घर के मित्र, हमारे साथ स्कूल में भी हो । और ये दावे के साथ कहा जा सकता है कि आज क्यों न हम जीवन में बहुत आगे निकल आएं हों पर एक अध्यापक जैसा मित्र हमें आज भी चाहिए। जो हमारी बुराईयों पर हमें डांटे और अच्छाइयों पर पीठ भी थपथपाए।
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5. टीचर सिखाते हैं सही-गलत की पहचान
अपनी स्कूली दिनों में बच्चे अबोध होते हैं इतने समझदार तो नहीं होते कि हर निर्णय ठीक ही ले लें। उस समय टीचर हमारी मदद करते हैं और हमें क्या करना चाहिए जो हमारे लिए हितकर है और क्या नहीं करना चाहिए जो हमारे लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है ।
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शिक्षक दिवस आखिर मनाते क्यों हैं?
5 सितंबर को प्रति वर्ष हमारे देश में शिक्षक दिवस श्रद्धा और आदर के साथ मनाया जाता है। हमारे देश के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डां. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की विद्वता और व्यक्तित्व को सम्मान देने के लिए इस तिथि को शिक्षक दिवस के रूप में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन एक कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ परम विद्वान, महान दार्शनिक, विचारक और बहुत बड़े शिक्षाविद् भी थे। राजनीति में पदार्पण से पहले लगभग 40 वर्षों तक उन्होंने एक शिक्षक के रूप में कार्य किया। उनका हमेशा ये मानना था कि शिक्षक और छात्र के बीच मधुर संबंध रहें और संसार के सारे शिक्षकों के सम्मान में एक दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। 1962 में, जब वे राष्ट्रपति थे, उसी समय कुछ छात्र और उनके अनेकों प्रशंसकों ने 5 सितंबर, जो की डॉ. राधाकृष्णन का जन्मदिन है, उसके मौके पर तथा शिक्षा-जगत में उनके अमूल्य योगदान के लिए इस तिथि को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का सविनय निवेदन किया। तभी से प्रत्येक वर्ष उनकी जन्मदिवस पर यानी कि 5 सितंबर को पूरे भारत में शिक्षक दिवस मनाया जाता है।