अधिक सोचने से आप हो सकती हैं बीमार, जानें इस बारे में

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देखा जाएं तो हमारी आधुनिकता हमें एक दौड़ की ओर धकेल रही है। हम लोग जैसे जैसे आधुनिक हो रहें हैं वैसे वैसे ही हमारे अंदर एक दूसरे से आगे निकल जाने की प्रवृत्ति जन्म ले रही है। हम लोग कैसे किसी दूसरे से आगे निकलें, हम लोग कैसे सफलता पाएं, किस छोटे रास्ते से हम लोग बढ़े बने। इस प्रकार के सवाल आज हमारे मन में लगातार घूमते रहते हैं। आपको बता दें कि घर परिवार, व्यवसाय, नौकरी या इसी प्रकार के विषयों पर जब हम जरुरत से ज्यादा सोचते हैं तो हम लोगों के बीमार होने के चांस बढ़ने लगते हैं। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जीवन की समस्याओं के बारे में खुद ही गुणा भाग करते रहते हैं। इस प्रकार के कार्य हमें अपने वास्तविक जीवन से तोड़ते हैं तथा हम लोग मानसिक बीमारियों की ओर बढ़ने लगते हैं।

ये हो सकती हैं समस्याएं –

ये हो सकती हैं समस्याएं -

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इस बारे में विशेषज्ञ कहते हैं कि ज्यादा विचार करने से हमारे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। किसी भी समस्या का ज्यादा विचार करने से हमारे काम करने के तरीके में बदलाव आ सकता है। असल में ऐसा होने पर कोर्टिसोल हार्मोन हमारे मष्तिष्क की कनेक्टिविटी में परिवर्तन का कारण बन जाता है। शोधार्थी बर्कले इस बारे में बताते हैं कि “जब हम ज्यादा सोचते हैं या चिंता करते हैं तब चिंता, तनाव या मूड स्विंग जैसी समस्याएं उत्पनन्न होती है। इसका असर आपके पाचन तंत्र पर भी पड़ता है। ऐसा होने पर आपके पेट में जलन, आंतों का सही कार्य न करना या इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम जैसी परेशानियां पैदा हो जाती हैं।

सीने का दर्द भी देता है अधिक सोचना

सीने का दर्द भी देता है अधिक सोचना

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यदि आप किसी बात की अधिक चिंता करते हैं तो यह आपके स्वास्थ्य तथा दिल की समस्याओं का कारण भी बन सकता है। चक्कर आना या छाती में दर्द होने का कारण आपका अधिक चिंता करना भी हो सकता है। इसके अलावा डिप्रेशन, तनाव, सोने में परेशानी, नशे की लत जैसी समस्याएं भी अधिक तनावग्रस्त रहने की वजह से होती हैं। इस प्रकार की समस्याएं निरंतर बढ़ती रहती हैं और आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करती रहती है। इस बारे में किये गए शोध बताते हैं कि अधिक तनावग्रस्त रहना आपकी त्वचा को भी प्रभावित करता है। इसके परिणाम एटॉपिक डर्मेटाइटिस, खुजली का होना, सिबोरहिक डर्मेटाइटिस, सोरायसिस जैसी समस्याओं के रूप में सामने आते हैं।

रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी होती है प्रभावित

रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी होती है प्रभावित

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किसी भी बात की अधिक चिंता आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करती है तथा इससे आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इस कारण आपको जल्दी ही शारारिक बीमारियां अपनी गिरफ्त में जकड़ लेती हैं। इस प्रकार से देखा जाएं तो अधिक सोचना या किसी भी बात की चिंता करना हमें बीमार बना सकती है। यदि आप अपने जीवन में भरपूर स्वास्थ्य का आनंद लेना चाहती हैं तो आप जीवन के बारे में संतुलित तरीके से सोचना शुरू करें न की अधिक। इस प्रकार से जीवन के बारे में विचार करना न सिर्फ आपके जीवन को गति देगा बल्कि आपको स्वस्थ भी रखेगा और आप बीमार होने से बची रहेंगी।

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